ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, सरकार ने दी कड़ी चेतावनी

ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों समेत कई देशों के प्रवासियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। सरकार ने इन australian anti immigration protests को ‘घृणा फैलाने वाला और नस्लभेदी’ बताया और साफ साफ कहा कि anti immigration protests australia में शामिल तत्व ऑस्ट्रेलियाई मूल्यों के खिलाफ हैं।

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सरकार बोली – प्रवासियों को डराने का कोई प्रयास बर्दाश्त नहीं

ऑस्ट्रेलिया में रविवार (31 अगस्त 2025) को हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरे और australia anti immigration protest के जरिए भारतीयों समेत अन्य कई देशों के प्रवासियों के बढ़ते आव्रजन का विरोध किया। इन प्रदर्शनों को “March for Australia” नाम से आयोजित किया गया था।

सिडनी, मेलबर्न, ब्रिस्बेन, एडिलेड, पर्थ और कैनबरा समेत कई बड़े शहरों में प्रदर्शन हुए। कई जगह पर पुलिस ने प्रवासी एवं ऑस्ट्रेलियाई लोगों में बीच-बचाव करना पड़ा, हालांकि बड़े पैमाने पर हिंसा की खबर नहीं आई।

ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इस प्रदर्शनों को सीधे-सीधे नस्लभेदी और खतरनाक एजेंडा  भी बताया हैं । सरकार ने बयान जारी किए और कहा –

“सभी ऑस्ट्रेलियाई, चाहे उनका जन्म कहीं भी हुआ हो, सुरक्षित और स्वागतयोग्य महसूस करने का अधिकार रखते हैं।


मंत्रियों का सख्त संदेश


गृह मंत्री टोनी बर्क ने कहा,

“हमारे देश में उन लोगों के लिए कही पर कोई जगह नहीं है जो समाज को तोड़ना चाहते हैं। इससे ज्यादा गैर-ऑस्ट्रेलियाई कुछ हो ही नहीं सकता।”


बहुसांस्कृतिक मामलों की मंत्री ऐन अली ने साफ कहा –

“मल्टीकल्चरिज्म हमारी असली पहचान का अहम हिस्सा है। जो भी लोग प्रवासी समुदायों को डराने या बांटने की कोशिश कर रहे हैं, वे कभी भी सफल नहीं होंगे। नस्ल और घृणा आधारित राजनीति आधुनिक ऑस्ट्रेलिया में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”


प्रदर्शनकारियों का तर्क


प्रदर्शन आयोजित करने वाले समूह का कहना है कि

“पिछले कुछ वर्षों में बड़े ही पैमाने पर प्रवास ने समाज की एकजुटता को तोड़ दिया है। हमारी सड़कों पर विदेशी संघर्ष हो रहे हैं , आपसी अविश्वास और असुरक्षा भी बढ़ी है।”


उनका यह दावा है कि पिछले पांच सालों में भारत से आने वाले प्रवासियों की संख्या, ग्रीक और इटालियन प्रवासियों की 100 साल की संख्या से ज्यादा है। समूह इसे “सीधा सांस्कृतिक प्रतिस्थापन” बता रहा

है।


प्रदर्शन और टकराव


सिडनी: 5,000 से 8,000 लोग जुटे। यह रैली सिडनी मैराथन के पास हुई जिसमें 35,000 धावक भी शामिल थे।


मेलबर्न: यहां प्रदर्शनकारियों और फिलिस्तीन समर्थकों के बीच झड़पें हुईं। संसद भवन के बाहर एक ज्ञात नियो-नाजी थॉमस सिवेल ने भी भाषण दिया।


एडिलेड: करीब 15,000 लोग रैली और काउंटर-प्रोटेस्ट में मौजूद हिस्सा रहे।


कुछ प्रदर्शनकारियों ने षड्यंत्रकारी देज़ी फ्रीमैन के समर्थन में पोस्टर भी उठाए, जिन पर पुलिस अधिकारियों की हत्या का आरोप भी है।


विपक्षी नेताओं की मौजूदगी


वन नेशन की पॉलिन हैंसन और सांसद बॉब कैटर जैसे कुछ विपक्षी नेताओं ने भी इन प्रदर्शनों में भाग लिया। सरकार ने इस पर नाराज़गी जताई और कहा कि विपक्ष भी समाज में बंटवारा बढ़ा रहा है।


सरकार का अंतिम रुख


पर्यावरण मंत्री मरे वॉट ने कहा –

“यह रैली सामाजिक समरसता बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि नफरत फैलाने के लिए है। हम इसे पूरी तरह खारिज करते हैं।”


सरकार ने दोहराया कि ऑस्ट्रेलिया नफरत और नस्लभेदी राजनीति को कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा।


FAQs


1. ऑस्ट्रेलिया में यह विरोध प्रदर्शन क्यों हुआ?

भारतीयों समेत प्रवासियों के बढ़ते आव्रजन के खिलाफ “March for Australia” नाम से प्रदर्शन हुए।


2. ऑस्ट्रेलियाई सरकार का इन प्रदर्शनों पर क्या रुख है?

सरकार ने इसे नस्लभेदी, खतरनाक और नफरत फैलाने वाला प्रदर्शन बताया है।


3. इन प्रदर्शनों में कितने लोग शामिल हुए?

सिर्फ सिडनी में 5,000 से 8,000 लोग जुटे, जबकि एडिलेड में करीब 15,000 लोग मौजूद थे।


4. क्या प्रदर्शनों में हिंसा हुई?

कुछ जगह झड़पें हुईं, खासकर मेलबर्न में, लेकिन पुलिस ने बड़े पैमाने पर हिंसा की पुष्टि नहीं की।


5. सरकार ने प्रवासियों को क्या आश्वासन दिया है?

सरकार ने कहा कि सभी प्रवासी सुरक्षित हैं और ऑस्ट्रेलिया में उनका स्वागत है।

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