(Taji news): चीन-भारत-ताइवान (china india taiwan) विवाद पर फिर गर्माहट, बीजिंग में जयशंकर बोले ताइवान चीन का हिस्सा है। लेकिन दिल्ली ने दोहराया- हमारी नीति वही है, बदलाव नहीं। पढ़ें पूरी खबर Taji news पर।
नई दिल्ली से बड़ी खबर:चीन के विदेश मंत्रालय ने यह दावा किया है कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने समकक्ष वांग यी से मुलाकात में कहा कि "ताइवान चीन का हिस्सा है"। हालांकि भारत सरकार ने मंगलवार (19 अगस्त 2025) को साफ साफ कहा कि ताइवान पर उसकी नीति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है।
चाइना ताइवान विवाद उस समय सामने आया ,जब चीनी विदेश मंत्री वांग यी दो दिवसीय भारत दौरे पर आए थे। यह उनकी 2021 के बाद पहली यात्रा थी और पीएम नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा (31 अगस्त, तिआनजिन SCO शिखर सम्मेलन) से पहले हुई।
चीन का दावा और भारत की सफाई
बीजिंग के अपने बयान में जयशंकर ने कहा – “भारत-चीन रिश्ते स्थिर, सहयोगी और आगे की सोच वाले हैं। ताइवान चीन का हिस्सा है।”
लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने तुरंत ही प्रतिक्रिया दी – “हमारी स्थिति में कोई विशेष बदलाव नहीं हुआ है। भारत, बाकी दुनिया की तरह, ताइवान के साथ केवल आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक रिश्ते रखता है और ये आगे भी जारी रहेंगे।”
भारत-ताइवान संबंध
1. भारत ताइवान को ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ के रूप में मान्यता नहीं देता।
2. लेकिन नई दिल्ली और ताइपे में प्रतिनिधि दफ्तर हैं, जो एक व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को संभालते हैं।
3. 2010 से भारत ने ‘वन-चाइना पॉलिसी’ का औपचारिक ज़िक्र बंद कर दिया है, खासकर तब से जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के लिए ‘स्टेपल्ड वीज़ा’ जारी करने शुरू किए थे।
4. यहां तक कि सुषमा स्वराज ने अपने चीनी समकक्ष से कहा था – “अगर आप चाहते हैं कि भारत भी‘वन-चाइना पॉलिसी’ दोहराए तो आपको भी ‘वन-इंडिया पॉलिसी’ का सम्मान करना होगा।”
अजित डोभाल और वांग यी की मुलाकात
चीन ने दावा किया कि एनएसए अजित डोभाल ने भी “ लगातार वन-चाइना पॉलिसी का पालन किया है” कहा।
हालांकि, भारतीय सूत्रों ने फिर स्पष्ट किया – “भारत का रुख वही है, ताइवान से हमारे रिश्ते सिर्फ आर्थिक, टेक्नोलॉजी और सांस्कृतिक स्तर तक सीमित हैं।”
भारत-चीन रिश्तों की बड़ी तस्वीर
1. 2020 के गलवान संघर्ष के बाद तनावपूर्ण रिश्ते अब धीरे-धीरे सामान्य होते दिख रहे हैं।
2. दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति, व्यापार, निवेश और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को आगे बढ़ाने की बात हो रही है।
3. इस साल भारत-चीन कूटनीतिक रिश्तों की 75वीं सालगिरह भी है, जिसे दोनों देश सकारात्मक मोड़ के रूप में देख रहे हैं।
4. पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पिछली मुलाकात (कज़ान, रूस) को भी रिश्तों में नया अध्याय माना जा रहा है।
निष्कर्ष
दिल्ली का संदेश साफ है – ताइवान पर भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं।
हालांकि बीजिंग बार-बार "वन-चाइना पॉलिसी" का ज़िक्र करता है, भारत अपने रुख पर कायम है।
मतलब यह कि india china taiwan को लेकर सहयोग केवल अर्थव्यवस्था, टेक्नोलॉजी और संस्कृति तक ही रहेगा।